Saturday 22 September 2012

पानी-शौचालय की व्यस्था न हो

जल ही जीवन है,
जाना है मैने - बि0के0वि0 मे आकर।
फरवरी में हुआ पीलियाग्रस्त मैं,
तो विश्वविद्दालय प्रशासन को दिया आवेदन॥


नहीं हुई सुनवाई तो किया इ-मेल,
जवाब मे 5 लीटर का डब्बा आया।
50 आदमी, 5 ली0 का एक डब्बा,
कुल बोझ बेचारा चपरासी उठाया॥

प्यास लगे तो पेप्सी पी
कैन्टीन क्यो खोल रखा है!
बीमार पड़े तो बिल जमा कर,
बीमा क्यो करवा रखा है!

बीत गए मास 14,
बीमा कार्ड का स्पेलिंग ठीक न कराया जा सका।
बीमा की सुविधा कैसे मिलनी है,
इसका विवरण अभी तक न मिल सका।।

कोई समझाए मुझे या ‘उन्हे’,
यह उचित नहीं है
कि बीमा बीमार पड़ने के लिए किया जाता है!
कि जिस घर में,
पानी-शौचालय की व्यस्था न हो
बेटी नही व्याही जाती –सरकारी विज्ञापन कहता है!!

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