Wednesday 17 October 2012

विकास किसका – कचरे का


विकास किसका – कचरे का


मिट्टी के मकान और फूस की झोपड़ी में से इतना भी कचरा नहीं निकला था कि दोनों हाथों मे भर सके। देखना है तो सुदूर देहात में जाइए और किसी आदिवासी के यहां सुबह-सुबह देख लिजिए। फिर आदमी ने आधुनिक बनना और विकसित बनना शुरु किया। आदमी के द्वारा फेंके गए कचरे से गढ्ढे भर गे, तालाब-आहर-पोखर-पइन भी भर गए। गोया कचरा न हो कोई राक्षस हो। हल्की-सी बरसात हुई नहीं कि बाढ़ हाजिर हो जाए और उस बाढ़ में बहता गली-कुचे में लुक छिप कर फेंका गया कचरा मुंह के सामने नाजिर हो जाए।

खाप – वोटतंत्र का श्राप


खाप – वोटतंत्र का श्राप
हरियाणा के पिछले एक महीने में 18 महिलाओं, जिनमें नाबालिग भी शामिल हैं, के साथ बलात्कार की घटनाएँ पुलिस द्वारा दर्ज की गई हैं। इनसे हरियाणा सरकार की इतनी किरकिरी हुई कि सोनिया गाँधी जब हरियाणा गई तो एक बलात्कार-पीड़ित दलित महिला से मिलने अस्पताल जा पहुँची। लेकिन उन्होने जब हरियाणा छोड़ते समय पत्रकारों से बात की तो बलात्कार की औपचारिक आलोचना के साथ ही यह भी कह गईं कि देशभर में इस तरह की घटनाएँ बढ़ रही हैं। अपराधियों को सजा, पीड़ितों को न्याय और कानून व्यस्था में सुधार के बजाए अपनी हरियाणा सरकार का बचाव उनकी प्राथमिकता बन गई। गोया महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहे हैं तो इसे न तो हरियाणा सरकार और न ही केन्द्र सरकार की कोई जिम्मेवारी है, न इसे उनकी असफ़लता के तौर पर देखा जाना चाहिए।

शब्द-चित्र : मुझे याद कर लेना


शब्द-चित्र : मुझे याद कर लेना

मीडिया का एक विद्दार्थी आज चुक गया क्योंकि उसके पास एक कैमरा नहीं था। 2003 मोडल के मोबाईल में एक साधारण सा कैमरा है भी तो व्यक्तिगत नैतिकता आड़े आ गयी। वह सोंच रहा है कि बाबा आदम के जमाने के लेखकों की बराबरी तो नहीं कर सकता लेकिन शब्द-चित्र खींचने का प्रयास तो कर ही सकता है।