http://media-education-ethics.blogspot.in/2012/12/blog-post_839.html
आज के पट्ना के
भगदड़ को दो साल पहले भी झेल आया हु जिसका व्यौरा ऊपर के लिन्क मे है।
आज मै अपने बेटे
और बेटी को लेकर गया था जैसे हीघर वापस आया शुभचिन्तको के फ़ोन आने शुरु हो गये.
खैर हमारा रास्ता फ़्रेज़र रोड होकर था। एक्जीविशन रोड के बीच मे ओभर्ड्राइव बन रहा
है जिसकी वजह से दोनो तरफ का मुश्किल से 20-20 फीट का हिस्सा उप्योगी है। उसपर से भी गाड़ीयो की अवैध
पार्किंग लगी रहती है जो आज भी रही होगी। यह सड़क कंकड़बाग मुहल्ला जाने हेतु ब्बने
चिरैयाटांड़ पुल के सामने है जिसकी वजह से गांधी मैदान की आधी भीड़्का दबाव इस सड़क
पर था। लोगों ने जहां किसी भी नियम का
पालन नहीं किया वहीं पुलिसकर्मी भी अंतिम दिन की खानापुर्ति कर रहे थे। सड़क पर
वाहनों की रोक भंग हो रही थी और पुलिसकर्मी मूकदर्शक थे। मैने गांधी मैदान से
निकलने वाली चार सड़्को अशोक राजपथ, बिस्कोमान रोड,छज्जुबाग रोड, फ्रेजर रोड को अराजक्ता पूर्ण स्थिति मे खचाखच भरा हुआ
पाया। खैर मैं 30 वर्षों से पटना
में रह रहा हुं इसलिए गली गली होकर निकल गया। अब शुरु हुआ एक दारोगा चार सिपाही 10 होमगार्ड को सस्पेंड करने का खेल.............................................................................मरी हुई पुलिस को जिन्दा होनेका
सर्टिफ़िकेट (भगदड़ की जांच) डीजीपी/गृह सचिव से लेने के बजाए कोई सरकार डीजीपी/गृह
सचिव को सस्पेन्ड क्यो नहीं करती.......शायद नेता अफसर गठजोड़ के कारण
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